क्यूबा ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका भेजा स्वास्थ्य कर्मियों का दल

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THE REPUBLIC OF CUBA

इबोला हो या कोरोना क्यूबा के डॉक्टर हमेशा मानवता की मिसाल रहे हैं।

कोरोना वायरस के कारण विश्वभर में उत्पन्न इस संकट के समय जहाँ सभी देश अपने नागरिकों की देखभाल में व्यस्त है, ऐसे समय मे समाजवादी देश क्यूबा लगातार संसार के दूसरे देशों में स्वास्थ्यकर्मियों के दल भेज कर इस वैश्विक लडाई में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
  कैरिबियन देश क्यूबा ने कोरोना वायरस से लड़ रहे दक्षिण अफ्रीका में 216 स्वाथ्यकर्मियो का एक दल भेजा है, जो कोरोना वायरस महामारी में दक्षिण अफ्रीका की मदद करेगा। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली मखिज ने कहा कि, 

क्यूबा में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली है जो वहाँ की सबसे अच्छी बात है,हम इस प्रणाली को पसंद करते है।

   दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल 4,793 मामले आये है, 1473 लोग ठीक हो गए है और अबतक 90 लोगो की मौत हो चुकी है। वही क्यूबा में 1389 मामले आये है, 525 लोग ठीक हो गए है तथा 56 लोगो की मौत हो चुकी है।
  अमेरिका बार-बार विश्व के दूसरे देशों को क्यूबा की चिकित्सा मदद न लेने की सलाह दे रहा है लेकिन इस वैश्विक महामारी के समय क्यूबा द्वारा विश्व के अनेक देशों को दी जा रही चिकित्सा मदद की प्रशंसा की जा रही है और जिस देश मे भी क्यूबा स्वास्थ्यकर्मियों का दल भेज रहा है वहीं पर उनका स्वागत किया जा रहा है। समाजवादी देश क्यूबा ने इस कोरोना वायरस महामारी के समय विश्वभर में लगभग 1200 स्वास्थ्यकर्मियों को भेजा है,जो अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप व एशिया के विभिन्न देशों में गये है।

क्यूबा ने इटली भी भेजा है स्वास्थ्यकर्मियों का दल

  पिछले दिनों क्यूबा ने नर्स व डॉक्टरों का एक दल इटली भेज था,जिनका इटली पहुँचने पर भव्य स्वागत किया क्या। जबकि अमेरिका द्वारा क्यूबा पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध में इटली भी अमेरिका के साथ था। इसके अलावा क्यूबा के स्वास्थ्य दल वेनेजुएला,निकारागुआ, जमैका,सूरीनाम ,ग्रेनेडा आदि देशों में कोरोना वायरल की जंग लग रहे है। इन्हीं दिनों बहामास के पास हज़ार यात्रियों से लदा एक ब्रिटिश क्रूज़ बीच समंदर में संकट में फंस गया, जहाज में मौजूद 50 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में कोरोनावायरस के लक्षण देखे गए,ख़बर फैलने के बाद पूरे क्रूज़ में लोगों की हवाइयां उड़ गईं। जिस बहामास के लिए ये क्रूज़ रवाना हुआ था, उसने कहा कि वो अपने किसी भी बंदरगाह पर इसे आने नहीं देगा। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने लाख कोशिश कर ली, लेकिन बहामास टस से मस नहीं हुआ। बाक़ी देशों से भी बात की गई, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। आख़िरकार क्यूबा को याद किया गया और क्यूबा ने एमएस ब्रीमर नामक इस जहाज़ को न सिर्फ़ पनाह दी, बल्कि उसमें मौजूद सभी यात्रियों और क्रू मेंबर्स के इलाज का भी ज़िम्मा संभाल लिया। समंदर में एक हफ़्ते भटकने के बाद 18 मार्च को ये जहाज़ क्यूबा में किनारे लगा, इसके बाद जांच-परीक्षण करके 1000 से ज़्यादा यात्रियों को क्यूबा के अधिकारियों ने विशेष बस में बैठाकर एयरपोर्ट पहुंचाया और उन्हें वापस ब्रिटेन भेज दिया।
 डेंगू व इबोला की लड़ाई में भी क्यूबा महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। वामपंथी क्यूबा ने कहा है कि हमारे लिए मानवता सबसे पहले है। अमेरिका क्यूबा पर बार-बार आरोप लगाता रहता है कि क्यूबा अपने चिकित्साकर्मियों से अमानवीय परिस्थितियों में काम कराता है तथा दूसरे देशों से चिकित्सा सुविधा के लिए मिलने वाले धन को भी चिकित्सा कर्मियों को नही देता है,लेकिन क्यूबा हमेशा इसका खंडन करता रहा है।

समाजवादी देश क्यूबा

  क्यूबा गणतंत्र कैरिबियाई सागर में स्थित एक द्वीपीय देश है,हवाना क्यूबा की राजधानी है। यह स्पेन का उपनिवेश रहा है, जिसका प्रभाव यहाँ पर स्पष्ट दिखाई देता है। यहाँ पर फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा व राउल कास्त्रो के नेतृत्व में 1959 में सशस्त्र क्रांति हुई जिसने अमेरिकी समर्थक सैन्य तानाशाह फुलगेनसियो बतिस्ता को उखाड़ फेंका और एक दलीय जनतंत्र की स्थापना की। क्यूबा में समाजवादी व्यवस्था को अपनाया गया, आज विश्व मे क्यूबा मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा का प्रतिबिंब है जो पूंजीवादी व्यवस्था का प्रतिरोध करता है। इसी लिये अमेरिका ने क्यूबा पर विभिन्न व्यापारिक प्रतिबंध लगा रखे है जिनका ओर भी पूंजीवादी देश समर्थन करते है।
 क्यूबा में शिक्षा अनिवार्य व सरकार के अधीन है। यहाँ पर साक्षरता दर 99.8% है अर्थात यहाँ पर सभी लोग शिक्षित है। क्यूबा में जनसंख्या के अनुपात में विश्व मे सर्वाधिक डॉक्टर है,यहाँ पर 170 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर है। विश्व मे सर्वाधिक देशो में चिकित्सा अभियान चलाने का श्रेय भी क्यूबा को है। क्यूबा में पिछले 50 सालों में जंगलों में वृद्धि हुई है,जो यहाँ की सरकार व लोगों का प्रकृति के प्रति प्रेम है।
 आधी दुनिया फिदेल कास्त्रो को एक तानाशाह व क्रूर शासक कहती है,वही वह क्यूबा के एक लोकप्रिय नेता है। यहाँ पर मोबाइल, कंप्यूटर व इंटरनेट की उपलब्धता चुनिंदा लोगो तक ही है। यहाँ पर वयस्क पुरूष व महिला को क्यूबा की सेना में 2 साल सेवा देना अनिवार्य है। यहाँ पर सभी नागरिकों को मतदान करना भी अनिवार्य है।
अमेरिका जैसी महाशक्ति को हमेशा आँख दिखाने वाला समाजवादी देश क्यूबा आज कोरोना महामारी में विश्व के 67 देशों में अपनी सेवाएं दे रहा है। इसे देख कर विकसित देशों को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में बड़े बदलाव करने की आवश्यकता है,जिससे किसी भी महामारी से लड़ने के लिए सभी देश मानवता के लिए एक साथ खड़े हो सके।

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