दिल्ली, सैकड़ों की संख्या में दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आए औद्योगिक मज़दूरों, भवन निर्माण कर्मी, आशा/आंगनवाड़ी श्रमिक, रेहड़ी-पटरी मज़दूर, दिल्ली जल बोर्ड, एनडीएमसी व एयरपोर्ट के कर्मचारी, लोडिंग-अनलोडिंग का काम करने वाले मज़दूर आदि ने दिल्ली सरकार को 25 नवंबर की हड़ताल का नोटिस दिया।
शहीदी पार्क से मज़दूर “मोदी-केजरीवाल होश में आओ, बढ़ती मँहगाई पर रोक लगाओ”, ” मज़दूर विरोधी लेबर कोड कानून रद्द करो”,”न्यूनतम वेतन लागू करो”, “मँहगाई के अनुसार न्यूनतम वेतन 26,000 महीना घोषित करो”, “जो अम्बानी-अडानी का यार है, वो देश का गद्दार है” आदि ज़ोरदार नारे लगाते हुए आगे बढ़े व आईईटीओ मैट्रो स्टेशन के निकट जुलूस ने जन सभा का रूप ले लिया। जुलूस का सबसे महत्वपूर्ण पहलू महिला मज़दूरों की बड़ी संख्या में मौजूदगी थी।
आम सभा का संचालन कामरेड अनुराग सक्सेना महामंत्री सीटू दिल्ली राज्य कमेटी ने किया। विभिन्न मज़दूर संगठनों के नेताओं ने एकत्रित मजदूरों को सम्बोधित किया । इसमें इंटक से मोहित अवाना, एटक से एस•के• बाग्ले, राष्ट्रिय सचिव, हरभजन सिद्धु, राष्ट्रीय महामंत्री एच एम एस, सीटू से वीरेन्द्र गौड़, ए आई यू टी यू सी से भास्कर आनंद, टी यू सी सी से धर्मेन्दर, सेवा से रीना, एल पी एफ से मोहन कुमार, ए आई सी सी टी यू से वी के एस गौतम, यू टी यू सी से शत्रुजीत सिंह, मेक से संतोष, आई सी टी यू से नरेंदर ने वक्तव्य रखा। सभी ने केंद्र व राज्य सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों का खुलासा किया।
आज जहाँ पैट्रोल-डीज़ल, रसोई गैस, प्याज़-टमाटर, सब्ज़ी-दूध समेत आम इस्तेमाल की चीज़ों के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं मज़दूरों का वेतन मँहगाई के अनुपात में बढ़ने के बजाय घटता जा रहा है। कोविड महामारी की आड़ में मालिकों द्वारा सरकारों के संरक्षण में मज़दूरों से जबरन न्यूनतम वेतन से बेहद कम दाम पर काम लिया जा रहा है और बड़े पैमाने पर छँटनी, तालाबंदी तथा बेरोज़गारी के बीच मज़दूर कम वेतन और बढ़ती मँहगाई के बीच पिसते जा रहे हैं। एक ओर तो केंद्र की मोदी सरकार इस आपदा को पूंजीपतियों के लिए अवसर बनाते हुए मज़दूर विरोधी 4 लेबर कोड कानून थोप रही है, वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी सीधे तौर पर मज़दूरों की स्थिति के लिए जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार का श्रम विभाग सीधे तौर पर न्यूनतम वेतन को लागू न करने के लिए जिम्मेदार है- जहाँ हेल्पर का घोषित न्यूनतम वेतन 15,908 रु0 मासिक है, वहीं सच्चाई तो यह है कि अधिकतर मज़दूर 8-10 हज़ार पर 12-12 घंटे काम कर रहे हैं। श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन, फैक्ट्रियों में आए दिन होती मौतें-इन सब के लिए श्रम विभाग का नियोजित रूप से पंगू बना दिया जाना है। यही रुख असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बारे में भी दिखती है, जिन्हें पिछले डेढ़ साल में सरकारी मदद न के बराबर मिली है। मज़दूरों की माँगों को सुनने के बजाय दिल्ली के श्रम मंत्री बेशर्मी से ट्रैड यूनियन नेताओं को दलाल कहते हैं, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी कम है।
इस पूरी स्थिति में मज़दूर वर्ग के सामने लड़ाई में कूदने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। 30 सितंबर को दिल्ली के संयुक्त ट्रैड यूनियन मंच ने कन्वेंशन के जरिये केंद्र व दिल्ली की मालिक परस्त तथा मज़दूर विरोधी नीतियों व मज़दूरों की माँगों पर संवादहीनता के खिलाफ़ 25 नवम्बर को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। 26 जुलाई 2018 के बाद यह पहला मौका है जब दिल्ली के ट्रैड यूनियनों ने स्वतंत्र स्तर पर हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के पी.ए. के माध्यम से दिल्ली सरकार को हड़ताल का नोटिस दिया।
हड़ताल की प्रमुख माँगें निम्न हैं :
1. घोषित न्यूनतम वेतन सभी कारखानों, संस्थानों, दुकानों में सख्ती से लागू करवाओ। मंहगाई अनुसार 26,000/-रु. न्यूनतम वेतन की घोषणा करो। बढ़ती महंगाई पर रोक लगाओ।
2. केन्द्र सरकार चारों श्रम कोड रद्द करे। ’फिक्स टर्म एमप्लाएमेंट’ व हायर एंड फायर, काम के घंटे बढ़ाने की नीति नहीं चलेगी। ठेकेदारों व मालिकों को छूट नहीं चलेगी। दिल्ली सरकार केन्द्र सरकार द्वारा पारित 4 श्रम कोड दिल्ली में लागू न करे।
3. दिल्ली के फैक्ट्री, रेहड़ी-पटरी, दिहाड़ी, रिक्शा व ई-रिक्शा चालकों, वेंडर्स, निर्माण, घरेलू कामगार, घर खाता कामगार व अन्य कोरोना प्रभावित असंगठित श्रमिकों-बेरोजगारों को 7500/- मासिक की मदद दो। घरेलू कामगार, घर खाता कामगार को कामगार का दर्जा दो।
4. कोरोना से मृतक हुए असहाय परिवारों को पर्याप्त मुआवजा व पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित करो।
5. छंटनी, वेतन-कटौती, मालिको की मनमानी, श्रमिक कानूनों की अवहेलना, श्रम विभाग में भ्रष्टाचार पर रोक लगाओ। सभी क्लेम-विवादों का तय समय में निपटान करो। कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करो।
6. सभी मजदूरों को राशन कार्ड दो। राशन में सभी खान-पान की वस्तुएं राशन की दुकानों से सस्ती दर पर उपलब्ध करवाओ। श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं, इलाज की व्यवस्था करो। श्रमिकों को सस्ते आवास की सुविधा दो। सभी मजदूरों को बिजली, पानी व अन्य जनसुविधाएं दो। 8000/- रू0 मासिक पेंशन की सुविधा दो।
7. प्रवासी श्रमिकों सहित सभी अंसगठित श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन निश्चित समय में पूरा करोे और असंगठित श्रमिकों का सामाजिक सुरक्षा बोर्ड गठित करो। सुप्रीम कोर्ट के 29.06.2021 के आदेश को पूर्णतः लागू करो। ठेकेदारों को लाईसेंस व फर्म का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करो।
8. स्थाई स्वरूप के काम में लगे सभी ठेका श्रमिकों को पक्का कर सारी सुविधा दो। सरकारी कर्मचारी के समान वेतन व अन्य सुविधा दो।
9. निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण कर सभी लाभ दो। पुराने क्लेम व विवाद अगले 1 माह में समाधान करो।
10. आशा, आंगनबाड़ी, मिड-डे मिल को न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा दो। सरकारी कर्मचारी घोषित करों।
11. निजीकरण-मोनोटाईजेशन, कृषि कानूनों, बिजली विधेयक 2020 को रद्द करो।
मजदूर नेताओं ने कहा कि, आने वाले दिनों में दिल्ली के तमाम औद्योगिक इलाकों और मज़दूर बस्तियों में हड़ताल का संदेश हर एक मज़दूर तक पहुंचाया जाएगा। 25 नवम्बर की हड़ताल के जरिए, मज़दूर वर्ग निश्चित तौर पर दिल्ली में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करेगा व सरकारों को पीछे धकेलने पर मजबूर करेगा।