गुड़गाँव के सेक्टर 34, सी-1 में नगर निगम के परिसर में शुक्रवार को भी पिछले 48 दिन से ठेका सफ़ाई मज़दूर अपनी माँगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। गुड़गाँव नगर निगम प्रशासन नेतृत्व को लगातार जुबानी माँगे माने जाने वाली बात दोहरा रहा है।
मजदूरों की प्रमुख माँगे –
– निकाले गये मज़दूरों को निगम पैरोल पर लिया जाय और जो पैरोल पर मज़दूर हैं उन्हें पक्का किया जाये।
– इसके इलावा श्रम क़ानूनों के तहत सभी मज़दूरों को नियुक्ति पत्र, पहचान पत्र, इ.एस.आई.व पी.एफ. आदि की सुविधा दी जाये।
– काम की नियम व शर्तों स्पष्ट की जाये, सफ़ाई का जरूरी सामान और उपकरण उपल्बध करवायें जाये।
– पहले से काम कर रहे सुपरवाइजरों को वरिष्ठता के आधार पर तरक्की दी जाये आदि
मजदूरों ने बताया कि इन माँगों के अलावा ढेरों समस्याएं हैं जैसे –
ठेकेदार नगर निगम द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों की बजाये मनमर्जी करते हैं। मज़दूरों को मनमर्जी से बीट पर लगाया व हटाया जाता है। जिसमें मुख्य निरीक्षक ठेका मज़दूरों के इलावा अपने नीचे के सुपरवाइजरों व मैटों के साथ भी मनमर्जी का व्यवहार करते हैं।
महिला मज़दूरों को ठेकेदारों व उसके सुपरवाइजरों की गलत निगाहों, इशारों व छूने जैसी हरकतों का सामना भी करना पड़ता है। जिसको लेकर कुछ घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। ताज़ा धटना में ठेकेदार सत्या का सुपरवाइजर रामवीर तो बलात्कार के आरोप चल भी जा चुका है।
ठेकेदार बिना पैसे लिए तो काम भी नहीं देते हैं। कुछ पैसा लेेकर डकार भी जाते हैं, काम भी नहीं दिलाते।
अपने इलाके के सफ़ाई के काम के इलावा दूसरे इलाके में जबरन सफ़ाई का काम करवाया जाता है। दूसरी जगह काम पर ले जाने के लिए ट्रेक्टर भी समय पर नहीं आता है।
अगर कोई मज़दूर ग़लत बात के लिए परेशान होने पर शिकायत करता है तो उस मज़दूर को भविष्य में चिन्हित (टारगेट) करके पड़ताड़ित करने के साथ-साथ निकाला दिया जाता है।
पहले भी 2018 में 9 मई से 24 मई तक 16 दिन तक हड़ताल तथा 2019 को भी 27 अगस्त से 30 अगस्त को 4 दिन की हड़ताल हुई थी।
मज़दूरों ने बताया है कि 2018 की हड़ताल 24 मई को टेंडर प्रथा यानी ठेके पर सफ़ाई मज़दूरों की भरती करने की प्रक्रिया के विरोध में हुई थी। लेकिन नगर निगम के जुबानी आश्वासन पर भरोसा करने के कारण संघर्ष आगे नहीं बढ़ पाया था।
इस बार 2021 में ठेका मज़दूर किसी भी तरह से जुबानी आश्वासन पर भरोसा करने को तैयार नहीं है यह भी ज्ञात रहे कि गुड़गाँव नगर निगम ने बीते वीरवार को नेतृत्व के साथ हो रही वार्ताओं में जुबानी माँगों को मानने वाली बात दोहराई, लेकिन अभी तक कोई लिखित आश्वासन व कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं हुई है। जिस की वजह से मज़दूर भी नगर निगम परिसर में धरने पर 48 दिन से बैठने के बावजूद यह ठान लिया है कि जब तक लिखित आश्वासन व ठोस कार्रवाई नहीं होती, तबतक उनका धरना चलता रहेगा।
एक तरफ़ नगर निगम प्रशासन मज़दूरों के संघर्ष को जुबानी आश्वासनों से लम्बा खींचकर थकाने-भटकाने की चाल चल रहा हैं वहीं मज़दूर भी इसबार अंत तक सावधानी व जोश के साथ डटे हुए हैं। संघर्ष को विभिन्न संगठनों व पार्टियों का सहयोग भी बढ़ता जा रहा है और संघर्ष में निरन्तर मज़दूर शामिल होते जा रहे हैं।