कैथल, स्थानीय जवाहर पार्क में जन संघर्ष मंच हरियाणा के 8 वें सम्मेलन का खुला अधिवेशन मंच के राज्य प्रधान कामरेड फूल सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सम्मेलन के आरंभ में मेहनतकश जनता के पक्ष में काम करने वाले शहीदों, वामपंथी कार्यकर्ताओं, शहीद किसानों को श्रद्धांजलि पेश की गई, सम्मेलन का आरंभ क्रांतिकारी गीतों से किया गया।
सम्मेलन के मुख्य वक्ता कामरेड सीडी शर्मा ने सम्मेलन में आये तमाम लोगों का क्रांतिकारी अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज स्वास्थ्य, शिक्षा व मूलभूत सुविधाएं आम लोगों की पहुँच से बाहर हो गए हैं। अन्याय ,जुल्म, शोषण बढ़ता जा रहा है। पूँजीपति वर्ग अपनी लूट को बढ़ाने के लिए तरह तरह के मज़दूर-किसान विरोधी कानून पास कर रहा है व मजदूर अधिकारों पर हमले किये जा रहे हैं।
आज मज़दूर-कर्मचारी तबका तबाही की कगार पर है। लेकिन सरकार आततायी दमनकारी कानून बना रही है। मोदी सरकार ने अघोषित एमरजेंसी लगा रखी है व देश मे पुलिसिया राज कायम हो गया है लोगों के जनवादी अधिकारों पर क्रूर हमले जारी हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास बताता है कि जब जब जुल्म-शोषण बढ़ता है उसका प्रतिकार करने की शक्ति भी बढ़ती है। उन्होंने शाहीनबाग की महिलाओं के बहादुराना संघर्ष , मारुति मज़दूरों के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आज मज़दूर, किसान, छात्र, नौजवान, महिलाएं आंदोलनरत हैं। आज पूँजीपति वर्ग डरा हुआ है कि मज़दूर मेहनतकश वर्ग उसके लूट की व्यवस्था को उखाड़ फेंकेगा इसलिए वह फासीवादी तरीका अपना रहा है। देश पर फासीवाद का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा मोदी सरकार कॉरपोरेट्स की चहेती , दलित ,मजदूर, जनविरोधी सरकार है। उन्होंने मज़दूर मेहनतकश वर्ग को इस पूँजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंककर समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।
महासचिव सुदेश कुमारी ने पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान मंच के द्वारा मोदी व खट्टर सरकार की मजदूर कर्मचारी व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलनों की रिपोर्ट रखी. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को आजादी पूंजीपतियों को मिली है और मेहनतकश जनता का आज भी शोषण दमन हो रहा है. भारी बेरोजगारी है. ग्रामीण मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। केंद्र व हरियाणा की भाजपा की मौजूदा सरकार के राज में महंगाई आसमान छू रही है. डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस लगातार महंगी की जा रहा है, बस व रेल किराया बढाया गया. सभी पैसेंजर रेल जानबूझकर चलाई नहीं जा रही है। शिक्षा, इलाज, सरकारी संस्थान पूंजीपतियों को कौड़ियों के दाम बेचे जा रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम के नाम पर जनता को लड़वा रही है। कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई रहे किसानों का दमन किया जा रहा है. कारपोरेट पूंजी के हित में मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं बना दी गई। सारी वैज्ञानिक खोजों व टेक्नोलॉजी का फायदा पूंजीपति उठा रहे हैं, कोरोना काल में पूंजीपति मालामाल हुए और कोरोना के मरीज बिना बेड, बिना दवाई, बिना आक्सीजन तड़प तड़प कर मर गए, उन्होंने कहा कि पूंजीवाद के रहते हुए श्रमिक वर्ग की गुलामी खत्म नहीं होगी इसके लिए पूंजीवादी समाज व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की जरूरत है।
सम्मेलन के अध्यक्ष कामरेड फूल सिंह ने कहा कि आज की सब बीमारियों की जड़ पूंजीवाद है इसे उखाड़ फेंकने की जरूरत है और यह काम मजदूर वर्ग शहीद भगत सिंह के चिंतन पर एकजुट होकर ही कर पाएंगे, उन्होंने कहा कि जन संघर्ष मंच हरियाणा आगामी समय मजदूरों गरीबों की मांगों को लेकर जोरदार आंदोलन खड़ा करेगा।
का. पाल सिंह ने शहीद भगत सिंह के चिंतन के आधार पर देश में क्रांतिकारी पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन गठित करने की जरूरत है।
मंच की उप प्रधान डा. सुनीता त्यागी ने महिलाओं पर बढ़ते दमन अत्याचार का विरोध किया, आंकड़े बताते हैं कि इस सदी की महिलाएं आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ रही हैं नौकरी खोकर चूल्हा चौका झाड़ू पोचा लगाने के काम करने पर मजबूर हैं. यौन हिंसा व घरेलू हिंसा की शिकार हैं। स्थिति यहाँ तक पहुँच गयी है कि मां बाप के बीच से अपराधी बच्ची को खींच लेते हैं, याद कीजिये कठुआ कांड, यौन हिंसा के दोषी भाजपा के कुलदीप सेंगर द्वारा की यौन हिंसा को. जहाँ भी महिलाओं पर अत्याचार होते हैं तो सरकार, मंत्री, सब अपराधियों के साथ हो जाते हैं। मनरेगा मजदूर महिलाओं की दशा खराब है, उन्होंने कहा कि दलित महिलाओं की हालत तो और भी खराब है। यह हाथरस कांड में हमने देखा है, इसलिए ये सम्मेलन महिलाओं से आह्वान करता है कि यदि वे अत्याचार से छुटकारा पाना चाहती हैं तो खुद संघर्ष करें।
का. सुरेश कुमार ने यूएपीए, एनएसए, राजद्रोह तथा सीएएम कानूनों और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के विरोध किया और रद्द करने की मांग की, उन्होंने हरियाणा सरकार के उस सिविल सर्विस एक्ट 2016 के नियम 9 का विरोध किया और इसे अलोकतांत्रिक, मौलिक अधिकारों पर हमला और तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई बताया। भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की आजादी देता है। क्या सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य देश के नागरिक नहीं हैं? कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य भी देश के नागरिक हैं। खट्टर सरकार को आखिर 2016 में क्या खतरा पैदा हो गया जब ये नियम बनाए और अब इन्हें लागू करने का आदेश निकाल दिया? सब जानते हैं कि राजनीति दो प्रकार की ही होती है- एक जनता के पक्ष की राजनीति, मजदूर कर्मचारी, मेहनतकश किसानों के पक्ष की राजनीति और दूसरी शोषक पूंजीपतियों के पक्ष की राजनीति, मजदूर मेहनतकश किसानों का शोषण उत्पीड़न करने वालों की राजनीति। सरकार के सब कानून और नीतियां पूरी तरह जनता के खिलाफ हैं और पूंजीपतियों के हित में है। सरकार जानती है कि कर्मचारी वर्ग सरकारी नीतियों की सब असलियत जानता है। यदि इसे राजनीति करने की छूट दे दी या सरकार की पूंजीपतियों के पक्ष की राजनीति के खिलाफ आंदोलन में भाग लेने या सहयोग करने की छूट दे दी तो यह उसके लिए और उसके आका पूंजीपतियों के लिए खतरे की घंटी होगी। उन्होंने आर एस एस की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों को भाग लेने की छूट का भी विरोध किया.
करनैल सिंह ने मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं का कड़ा विरोध करते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की और इनके खिलाफ मासा के बैनर तले राष्ट्र व्यापी साझा संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर सूरजभान चहल ने इन जनविरोधी कानूनों को वापस लेने, बिजली संशोधन कानून रद्द करने, किसान को डीजल ₹25 प्रति लीटर व डीएपी व यूरिया खाद दिये जाने की मांग की.
सुधीर शास्त्री ने जिला जींद के छात्तर गाँव में दलित परिवारों के सामाजिक आर्थिक बहिष्कार का कड़ा विरोध किया और मांग की कि दलित बहिष्कार करने के दोषियों को एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जाए, बहिष्कार हटाया जाए और पीड़ित दलित परिवारों को वित्तीय सहायता दी जाए।
नरेश कुमार ने आंगनबाड़ी वर्कर्स की मांगों के लिए आंदोलन से पूर्ण एकजुटता प्रकट करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री की आलोचना की. यूनियन नेता कमला दयोरा की सेवाएं बहाल करने व नेताओं के दर्ज मुकदमे वापिस लेने की मांग रखी और सभी मांग पूरी की जाए.मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम तथा ₹800 दिहाड़ी दिये जाने की मांग रखी।
कविता विद्रोही ने नई शिक्षा नीति 2020 का विरोध किया और इसे वापिस लिए जाने की मांग की. इस नीति के जरिये सरकार ने गरीबों के बच्चों को पढ़ाई से महरूम रखने का पुख्ताप्रबंध कर दिया है।
बिहार ग्रामीण मजदूर यूनियन से संतोष ने कहा कि मजदूर आंदोलनों में जो ठहराव आ गया उसे किसान आंदोलन ने तोड़ दिया है उन्होंने जन संघर्ष मंच हरियाणा द्वारा ट्रेड यूनियन सेंटर बनाए जाने के फैसले का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इससे शासक वर्ग को चुनौती देने का माहौल तैयार होगा।
इन्कलाब मजदूर केंद्र के मुन्ना प्रसाद ने कहा कि हमें जन संघर्ष मंच हरियाणा के संघर्षो से प्रेरणा ली है और उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी समय में हम सभी क्रांतिकामी संगठन राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर समाजवादी क्रांति को संपन्न करेंगे।
केएनएस से खुशी राम ने जन संघर्ष मंच हरियाणा के साथ और ज्यादा तालमेल बढ़ा कर काम करने का भरोसा दिया.
आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर यूनियन की नेता जगमति मलिक ने सफल सम्मेलन पर मंच को बधाई दी और कहा कि मंच हमारी लड़ाई का सहयोग कर रहा है. सरकार हमारा शोषण कर रही है मगर हमें श्रमिक का दर्जा भी नहीं दे रही है।
जन संघर्ष मंच हरियाणा की आगामी दो साल के लिए राज्य कार्यकारिणी की घोषणा की गई जिसमें राज्य प्रधान- कामरेड फूल सिंह, उपप्रधान- नरेश विरोधिया व डा. सुनीता त्यागी, महासचिव- सुदेश कुमारी, सचिव- सुरेश कुमार, सह सचिव- कविता विद्रोही, वित्त सचिव- चंद्र रेखा, प्रचार सचिव- डा. लहना सिंह, प्रवक्ता- सोमनाथ, कार्यकारिणी सदस्य- सुधीर शास्त्री, सतबीर सिंह, ऊषा, पाल सिंह, नरेश कुमार, करनैल सिंह, जोगिंदर सिंह, रघबीर सिंह, सूरजभान चहल, मेहर सिंह, संसार चंद्र तथा सतीश चुने गए।