हरियाणा, भवन निर्माण कामगार यूनियन हरियाणा सम्बंधित सीटू के नेतृत्व में निर्माण मजदूर-कारीगरों की मांगों एवं समस्याओं के समाधान को लेकर आज भारत की निर्माण मजदूर फेडरेशन के आह्वान पर दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल की गई ।
जिसमें हरियाणा राज्य के हजारों निर्माण मजदूर शामिल हुए, विरोध प्रदर्शन किए गए और निर्माण मजदूर-कारीगरों की मांगों के ज्ञापन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री एवं उपायुक्त के नाम ज्ञापन सौंपे।
देश और प्रदेश सरकार आज निर्माण मजदूरों को सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्माण कल्याण बोर्ड का काम उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला के पास है मगर बार-बार बातचीत होने के बाद भी समस्याओं का समाधान नही हो रहा है। कन्यादान, म्रत्यु सहायता, मातृत्व, पितृत्व आदि के आवेदनों को दो-दो, 3-3 साल आवेदन किए हो गए लेकिन तमाम कागजात बार-बार पूरे करने के बावजूद भी इन आवेदनों पर आपत्ति लगाई जा रही है। एक तरफ लाभ से वंचित किया जा रहा है दूसरी तरफ कमर तोड़ महंगाई ने निर्माण मजदूर-कारीगरों व आम जनता का जीना दूभर कर दिया है। उन्होंने बताया कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने मजदूरों के हक के लिए बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके चार लेबर कोड में बदल दिया है, जिनसे मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने का रास्ता खोल दिया है। इन कोडों में ना तो न्यूनतम वेतन का प्रावधान है और ना ही काम की समय सीमा तय की गई है। यदि ये श्रम कोड लागू होते हैं तो मजदूर थोड़े से थोड़े वेतन में दिन-रात पूंजीपतियों के यहां काम करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश में निर्माण कल्याण बोर्ड में आज किसी का भी पंजीकरण नहीं हो रहा है। लाखो मजदूर-कारीगरों को बोर्ड के लाभ से वंचित पहले ही हैं ऊपर से बीजेपी-जेजेपी सरकार ने सेंट्रल प्रोसेसिंग सिस्टम (सीपीएस) के माध्यम से निर्माण मजदूरों को मिलने वाली सहायता राशि से भी वंचित कर दिया है और यह ढोंग किया जा रहा है कि सीपीएस से भ्रष्टाचार खत्म हो गया लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। प्रदेश के निर्माण कल्याण बोर्ड में जमा 4500 करोड़ रुपए जमा है जिन पर बीजेपी-जेजेपी कुंडली मारकर बैठ गई है और इस पैसे को निर्माण मजदूरों पर खर्च करने की बजाय इसे खुर्द-बुर्द करना चाहती है। इसलिए भवन निर्माण कामगार यूनियन ने फैसला किया है कि बीजेपी-जेजेपी के मजदूर विरोधी अजेंडे को जनता के बीच में ले जाया जाएगा।
मुख्य मांगे-
1. भवन निर्माण कामगार यूनियन हरियाणा का प्रतिनिधि मंडल 5 अगस्त को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री से मिला था, उस समय हुई वार्ता में उपमुख्यमंत्री भी मौजूद थे। उसके बाद भी 13 अक्टूबर को आपसे मांगपत्र पर चर्चा करते हुए कई मसलो को हल किये जाने की सहमति बनी थी, लेकिन अभी तक हल ना निकलकर और ज्यादा परेशानियां ही खड़ी हो रही है। बार बार सहमति बनने के बावजूद सभी मसलो को लटकाया जा रहा है। जिन पर सहमति बन गई उनको लागू किया जाए।
2. सेंट्रल प्रोसेसिंग सिस्टम के लागू होने के बाद अलग अलग अधिकारियों के द्वारा बेमानी आपत्ति सुविधा फार्मो पर लगाई जा रही है, जिसके चलने ना सिर्फ आर्थिक हानि हो रही है बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है। इसलिए बिना किसी कारण आपत्ति लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए तथा रद्द किए गए सुविधा फार्म बहाल किए जाए।
3. 90 दिन की वेरिफिकेशन का अधिकार यूनियनों को दिया जाए। पूरे प्रदेश में बोर्ड के कार्यो में एकरूपता लाई जाए। सीपीएस से पहले जमा हुए फार्मो को सीपीएस के दायरे से बाहर किया जाए। रद्द किए फार्मो को बहाल किया जाए व लाभ दिया जाए।
4. लाभ दिए जाने की समय सीमा तय की जाए व अलग अलग सुविधाओ के लिए नियम तय किये जायें। एक ही बार आपत्ति का नियम लागू किया जाए।
5. फैमली आई डी के नाम पर रद्द किए गए पंजीकरण व सुविधा फार्म बहाल किये जायें। कन्यादान व मृत्यु के फार्म पर फैमली आई डी शर्त खत्म किये जाने के निर्णय को लागू किया जाए।
6. फौरी तौर पर मृत्यु व कन्यादान के लाभ से तो हर हाल में फैमली आई डी शर्त खत्म हो।
7. जिला स्तर पर मोनिटरिंग समितियों का गठन हो जिसमें यूनियन के प्रतिनिधि शामिल हो।
8. इलाज का प्रबन्ध बोर्ड की ओर से किया जाए।
9. आवास के लिए अनुदान हेतु आसान शर्तो पर जारी किया जाए।
10. दिहाड़ी मारने वालों पर कार्यवाही हो।
11. लेबर चोको पर शेड का निर्माण किया जाए।
12. सभी गांव में मनरेगा का 200 दिन काम ओर 600 रुपये दिहाड़ी लागू की जाये।