23 अगस्त, कैथल में कलायत ब्लॉक के बालू, खरक पाडवा गांव के मनरेगा मजदूरों ने क्रांतिकारी मनरेगा मजदूर यूनियन व मनरेगा मजदूर यूनियन (1943) के साझा बैनर तले काम की मांग को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा। गांव मजदूरों ने बताया कि बालू में पिछले कई महीने से काम बंद पड़ा है। पिछले साल सिर्फ मजदूरों को 28 से 30 दिन ही काम मिला।
बलजीत व राजू ने आरोप लगाया की मौजूदा एबीपीओ सुरेश द्वारा मजदूरों के साथ भेदभाव किया जाता है और अपने चुनिंदा लोगों को ही काम दिया जाता है। ऐसे में मजदूरों ने आज सड़कों पर उतरकर संघर्ष का रास्ता चुना है। मनेरगा मजदूर यूनियन यूनियनों द्वारा 30 अगस्त तक का समय दिया है। प्रदर्शनकारी मजदूरों में निशा, सुमन, कविता, पवन, कर्मवीर राममेहर आदि भागीदारी की।
मनरेगा मजदूर यूनियन के महासचिव सोमनाथ, जिला प्रधान जोगिंदर सिंह व क्रांतिकारी मनरेगा मजदूर यूनियन की ओर से अजय ने मजदूरों को संबोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि मनरेगा मजदूरों के हालातों पर गौर करें तो सरकार 100 दिनों के काम की गारंटी देने की बात करती है लेकिन हकिकत में औसतन 28 दिन मजदूरों को काम मिल पाता है। आज मनरेगा में काम करने के औसत दिन प्रतिदिन कम होते जा रहे है । आज बार-बार सरकार के सामने काम की गुहार लगाने के बाद भी उनको ज़रूरत के हिसाब से काम नहीं मिल पा रहा है । काम न दे पाने की सूरत में सरकार मज़दूरों की किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता भी नहीं कर रही। जो सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों को साफ़-साफ दर्शाता है। यूनियनों द्वार निर्णय लिया गया कि अगर गांव में मनरेगा का काम शुरू नहीं होता। तो मजदूर और अधिक तादाद में एकजुट होकर कार्यालय का घेराव करेंगे।
डीसी को दिए ज्ञापन यूनियन में निम्नलिखित मांगे रखी.
1. कलायत ब्लॉक के भ्रष्ट एपबीपीओ सुरेश को निलंबित किया जाए।
2. सभी गांव में नियमित तौर पर काम दिया जाए। काम ना देने की सूरत में बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
3. 2 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर सुरक्षित परिवहन सुविधा दी जाए। साथ ही वेतन से अतिरिक्त 10 प्रतिशत परिवहन खर्चा दिया जाए।