बिगुल मज़दूर दस्ता और दिशा छात्र संगठन की ओर से उत्तर प्रदेश में आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की दो दिवसीय हड़ताल का समर्थन करते हुए इलाहाबाद में उसमें भागीदारी की गयी।
इलाहाबाद के पीडब्ल्यूडी के डिप्लोमा इंजी. हॉल में आयोजित सभा में दिशा छात्र संगठन की नीशु ने बात रखते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आँगनबाड़ी कर्मियों और सहायिकाओं का शोषण करने के मामले में देश के सभी राज्यों से चार क़दम आगे है। एक तरफ़ जहाँ देश के कई राज्यों में आँगनबाड़ी कर्मियों और सहायिकाओं ने अपने संघर्षों के दम पर अपना मानदेय बढ़वा लिया है, वहीं उत्तर प्रदेश में जितना मानदेय मिलता है वह खुद सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी से भी कम है। सरकार की सभी योजनाओं को जमीन पर उतारने, बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण का ध्यान रखने, पुष्टाहार का वितरण करने से लेकर छोटे बच्चों के टीकाकरण का काम तो सरकार ने घोषित तौर पर आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सौंप रखा है। लेकिन इसके अलावा उनपर कभी भी और कोई भी काम लाद दिया जाता है। कोविड के पूरे समय में आँगनबाड़ी की कार्यकत्रियों ने जान हथेली पर रखकर कोविड ड्यूटी की लेकिन बदले में उन्हें कोई भी अतिरिक्त पारिश्रमिक नहीं दिया गया और न ही पीपीई किट, मास्क, सैनेटाइज़र आदि दिया गया। इतना ही नहीं, चुनाव में ड्यूटी लगने पर भी आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अलग से कोई पैसा नहीं मिलता है। सरकार की बेशर्मी को इसी से समझा जा सकता है कि आँगनबाड़ी में काम करने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश तक नहीं दिया जाता। इन हालात को देखकर कोई भी इंसाफ़पसन्द व्यक्ति समझ सकता है उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार के कार्यकाल में आँगनबाड़ी कार्यकत्रियाँ, चाहे वे कर्मी, सहायक या मिनी वर्कर हों; किस बर्बर शोषण का शिकार हैं।
उत्तर प्रदेश की आँगनबाड़ी में काम करने वाली कर्मी, सहायिकाएँ और मिनी वर्कर क्रमशः 5555, 4250, 2750 रुपये की रकम में खटती हैं। यह वेतन एक इंसान जैसी ज़िन्दगी जीने के लिए न केवल अपर्याप्त है, बल्कि अपमानजनक भी है। वैसे तो सरकार द्वारा तय किया गया न्यूनतम वेतन भी बहुत कम (लगभग 7000 रुपये) है लेकिन आँगनबाड़ी की कार्यकत्रियों को मिलने वाला यह वेतन उसके बराबर भी नहीं है। कोविड की दूसरी लहर के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश की आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने कोरोना के दौर में अपने काम से मिसाल क़ायम की है। लेकिन शब्दों की इस लफ़्फाज़ी की आड़ में यही उत्तर प्रदेश सरकार तरह-तरह के हथकण्डों के जरिए आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों का उत्पीड़न जारी रखे हुए हैं। कभी उन्हें नया फ़ोन और डेटा प्रदान किये बिना सभी आँगनबाड़ी कर्मियों को पोषण ट्रैकर ऐप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए बाध्य किया जाता है, तो कभी अपने खर्च से टोकन बाँटने को कहा जाता है। अपनी पूरी ज़िन्दगी खटने के बाद 62 साल की उम्र में बिना किसी सुविधा और पेंशन के रिटायर कर दिया जाता है। दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन स्थल पर पर्चे वितरित किये।
आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी माँगों को लेकर जुलूस निकालकर सीडीओ और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।